Asha Bhosle : 90 की उम्र लेकिन रोज रियाज करती हैं आशा ताई : सुदेश भोसले बोले- लोग मुझे उनका बेटा समझते हैं, बुरे दिनों में दी थी मूर्ति

Asha Bhosle : 90 की उम्र लेकिन रोज रियाज करती हैं आशा ताई : सुदेश भोसले बोले- लोग मुझे उनका बेटा समझते हैं, बुरे दिनों में दी थी मूर्ति

Asha Bhosle :

आज लीजेंड्री गायिका आशा भोसले का 90वां जन्मदिन है। 20 भाषाओं में 11 हजार से ज्यादा गाने गा चुकीं आशा जी उम्र के इस पड़ाव पर भी उतनी ही एक्टिव हैं। अपने 90वें जन्मदिन पर वे दुबई में शो कर रही हैं।

पं. दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी बेटी आशा जी ने जब फिल्मी दुनिया में बतौर गायिका कदम रखा तो उन पर लता मंगेशकर की छोटी बहन होने का भी प्रेशर था। लता दीदी तब तक फेमस गायिका बन चुकी थीं।

लता दीदी से अलग आशा जी ने गायिकी का एक अलग ही अंदाज ईजाद किया। हजारों गाने, सैकड़ों लाइव शो और अनगिनत यादगार लम्हे, उनकी जिंदगी में इन सब के अलावा भी काफी कुछ घटा है।

90वें जन्मदिन के मौके पर हमने आशा जी के बारे में बात की फेमस सिंगर सुदेश भोसले से। सुदेश ही ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने आशा जी के साथ सबसे ज्यादा लाइव शो किए हैं और आज भी वो दुबई में उनके साथ ही शो कर रहे हैं। सुदेश कहते हैं कि भोसले सरनेम की वजह से लोग मुझे उनका बेटा ही मानते हैं, हमारा रिश्ता भी मां-बेटे जैसा ही है।

सुदेश ने हमसे कई बातें साझा कीं। पढ़िए, आशा जी की जिंदगी के कुछ दिलचस्प किस्से, सुदेश भोसले की जुबानी-

मेरे गाने सुन आशा ताई रो दीं, पंचम दा ने गले लगाया

साल 1986। ये साल मेरे लिए लकी साबित हुआ। इस साल मेरे साथ जो वाकया हुआ, वो किसी करिश्मे से कम नहीं था। एक दिन मैं स्टेज शो कर रहा था। तभी आशा ताई की नजर मुझ पर पड़ी। उन्होंने मुझे किशोर कुमार और एस.डी. बर्मन के गानों को उन्हीं के अंदाज में गाते हुए सुना। उस वक्त तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। सिर्फ सुनकर चली गईं। मुझे भी नहीं पता था कि आशा भोसले मुझे सुन रही हैं।

इस शो को कुछ ही दिन बीते थे, एक स्टूडियो में मेरी मुलाकात आशा ताई से हुई। उन्हें देखते ही मैंने उनके पैर छुए। आशीर्वाद देने के बाद उन्होंने मुझसे एस.डी. बर्मन के गाने की गुजारिश की। ये सुनते ही मैं नर्वस हो गया। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। मेरी हालत देख उन्होंने कहा- आप बिना किसी झिझक के आराम से गाइए।

मैंने ‘डोली में बिठाई के कहार’ गाने को बिल्कुल एस.डी. बर्मन के अंदाज में गाया। जब गाना खत्म हुआ तो देखा कि साड़ी के पल्लू से मुंह छिपाकर वो रो रही थीं। उन्होंने मेरे गाने की बहुत तारीफ की। फिर उन्होंने और गाने की डिमांड की। उन्होंने तुरंत ही मेरे गाए हुए सारे गाने रिकाॅर्ड करा लिए और उस रिकॉर्डिंग को अपने साथ ले गईं। फिर कहा- जल्द ही मिलते हैं। इतना कहकर वो चली गईं।

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आशा भोसले से मेरी मुलाकात हुई है। घर गया, खाना खाया और इस खूबसूरत घटना को सोचते-सोचते सो गया।

सुबह के 7 बजे थे। तभी पड़ोसी घर से आवाज आई कि आर.डी. बर्मन के ऑफिस से कॉल आया है। ये सुनते ही मैं भागा। फोन करने वाले शख्स ने मुझसे जल्द ही अपना पासपोर्ट लेकर ऑफिस आने को कहा।

मुलाकात तो आशा भोसले से हुई थी, लेकिन कॉल पंचम दा के ऑफिस से आया। ये मुमकिन ऐसे हुआ कि आशा ताई रिकॉर्डिंग इसलिए ले गई थीं क्योंकि वो मेरे गाए हुए गानों को पंचम दा को सुनाना चाहती थीं। जब पंचम दा नहा रहे थे तो आशा ताई ने रिकॉर्डिंग बजा दी। गाने सुनकर पंचम दा को लगा कि उनके पिता एस.डी. बर्मन गा रहे हैं। वो जल्दी से बाथरूम से निकल आए। सवाल किया- क्या ये पापा की रिकॉर्डिंग है। आशा ताई ने उन्हें बताया कि एस.डी. बर्मन के अंदाज में ये सारे गाने मैंने गाए हैं। मेरी काबिलियत से प्रभावित होकर उन्होंने मुझसे मिलने को कहा।

जब मैं उनके ऑफिस पहुंचा तो घबराया हुआ था। आशा ताई भी वहां मौजूद थीं। उन्होंने मेरा परिचय देते हुआ कहा- ये वही लड़का है, जो सबके अंदाज में परफेक्ट गाता है। फिर आर.डी. बर्मन ने हंसते हुए कहा- क्यों, तुम्हीं हो जो मेरे बाप की आवाज में गाते हो। ये सुन वहां मौजूद सब लोग हंसने लगे। मैंने उनके कहने पर 2-3 गाने सुनाए। गाने सुनने के बाद उन्होंने मुझे खुशी से गले लगा लिया।

आशा ताई मुझे बेटे जैसा मानती हैं

पंचम दा ने ही मुझे पहली बार 1998 की फिल्म जलजला में गाने का मौका दिया था। ये मुमकिन इसलिए हुआ था क्योंकि मेरे ऊपर आशा ताई का हाथ था।

इसके बाद मैं हमेशा के लिए आशा ताई से जुड़ गया। इसी साल वो मुझे पहली बार हॉन्गकॉन्ग के ट्रिप पर अपने साथ ले गईं। वहां पर मैंने पहली बार उनके साथ डुएट गाए। इसके बाद ऐसे बहुत कम शो हुए हैं जिनमें मैंने उनके साथ परफॉर्मेंस न दी हो। उनके साथ लगभग हर शो का हिस्सा रहा हूं। वो कहती हैं, सुदेश मैं बस तुम्हारे साथ ही डुएट में कंफर्टेबल हूं।

शायद यही कारण रहा कि जिस इवेंट में, मैं किसी कारणवश नहीं जा पाता था, उस इवेंट में वो डुएट गाती ही नहीं थीं। आशा ताई से इतना स्नेह पाकर भला कौन नहीं खुद को दुनिया का सबसे भाग्यशाली मानेगा।

हमारा रिश्ता एक मां-बेटे की तरह है। हम दोनों का सरनेम भी भोसले है। इससे भी लोगों को लगता है कि मैं सच में उनका बेटा हूं।

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