Dono Review:
सनी देओल के बेटे Rajveer Deol और पूनम ढिल्लन की बेटी पालोमा की डेब्यू फिल्म काफी प्यारी है ये एक ताजा हवा के झोंके जैसी लगती है.
राजवीर जहां 29 साल के हैं। वहीं पलोमा की उम्र 21 साल है। इस फिल्म को बनाने वाले डायरेक्टर अवनीश ‘मैंने प्यार किया’ समेत कई हिट फिल्में बना चुके सूरज बड़जात्या के बेटे हैं।
Dono Review:
राजश्री प्रोडक्शन्स की एक खासियत है कि वो ऐसी फिल्में बनाते हैं जो दिल को छूती हैं.जिन्हें आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं..हम आपके हैं कौन, हम साथ साथ हैं, ये फिल्म हम आज भी टीवी पर देखते हैं.
अब राजश्री ने दो नए सितारों को लॉन्च किया है.सनी देओल के बेटे Rajveer Deol और पूनम ढिल्लन की बेटी पलोमा ढिल्लन.ये फिल्म राजश्री के स्टाइल में बनी और दिल को छूती है
Dono’s कहानी
ये कहानी है देव सराफ यानि Rajveer Deol और मेघना दोषी यानि पलोमा ढिल्लन की.ये दोनों एक शादी में मिलते हैं.इस शादी में जो दुल्हन है उससे देव 10 साल से प्यार करता है और इसी शादी में मेघना का एक्स बॉयफ्रेंड भी आया हुआ है.
ऐसे में क्या इन दोनों की वजह से इस शादी में कोई पंगा होगा या फिर ये दोनों एक नई शुरुआत करेंगे यही इस फिल्म की कहानी है. ये कहानी भले बहुत ग्रेट ना हो लेकिन इसे जिस तरह से दिखाया गया है वो दिल को छूता है और उसके लिए थिएटर जाया जा सकता है.
Dono Movie की एक्टिंग
Rajveer Deol ने बहुत नेचुरल एक्टिंग की है.वो इस किरदार में काफी जमे हैं.Rajveer Deol के पापा सनी देओल लाउड एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं लेकिन राजवीर ने बहुत शांत किरदार निभाया है और जिस तरह से वो डायलॉग बोलते हैं वो आपको काफी इम्प्रेस करते हैं.
पलोमा ढिल्लन ने भी अपने किरदार को काफी अच्छे से निभाया है.उनकी एक्टिंग भी काफी नेचुरल लगती है. ये दोनों न्यूकमर दिखाते हैं कि इनमें टैलेंट है और ये आगे और अच्छा कर सकते हैं.
फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट भी कमाल है.राजश्री की तमाम फिल्मों की तरह यहां भी सपोर्टिंग कास्ट कमाल का काम करती है. दूल्हे निखिल के किरदार में रोहन खुराना है जो अपने अंदाज से आपको खूब एंटरटेन करते हैं.
उनका अपना एक स्वैग है जो आपको बिना किसी वजह के भी हंसा जाता है. दुल्हन अलीना के किरदार में कनिक कपूर ने शानदार काम किया है.
कहना होगा कि वो फिल्म की हीरोइन पलोमा के मुकाबले में कम नहीं लगती हैं और उनकी स्क्रीन प्रेंजेंस भी गजब लगती है.मनिक पपनेजा ने गप्पू के किरदार में कमाल किया है. आदित्य नंदा ने गौरव के किरदार में जान डाली है.
कैसी है Dono
ये फिल्म काफी ताजी लगती है. बहुत फ्रेश लगती है. थाईलैंड में शादी की लोकेशन्स को ग्रैंड तरीके से शूट किया गया है.फिल्म में आपको सारे नए चेहरे दिखते हैं और वो कहीं ना कहीं एक सुकून देते हैं.
आपको फिल्म देखते हुए एक ताजगी का अहसास होता है. आप फिल्म के किरदारों से जुड़ते हैं और यही राजश्री की खासियत है और अपने स्टाइल में मॉर्डन फिल्म बनाने में राजश्री कामयाब हुआ है.
Dono का डायरेक्शन
फिल्म को सूरज बड़जात्या के बेटे अवनीश बड़जात्या ने डायरेक्ट किया है औऱ यहां बेटा पापा के नक्शे कदम पर चलता दिखता है. इस फिल्म में ट्रेडिशन भी है और ये फिल्म मॉर्डन भी है.ये फिल्म दिखाती है कि अवनीश ने राजश्री में अच्छी ट्रेनिंग ली है.
पिता सूरज बड़जात्या के नक्शे कदम पर चलते हुए अवनीश ने भी शादी का माहौल चुना है। शादी की परंपराओं और रीति रिवाजों को वह थाईलैंड ले गए हैं।
इस बार डेस्टिनेशन वेडिंग है तो थाईलैंड की प्राकृतिक खूबसूरती से भी वाकिफ होते हैं। एकतरफा प्रेम में जूझते देव का दर्द, मेघा की अपने पुराने रिश्ते को लेकर कशमकश, शादी के बाद लड़की से उम्मीदें जैसे विषयों को अवनीश ने सहजता से चित्रित किया है।
देव और मेघना के किरदारों के जरिए पुराने रिश्ते से मुक्ति पाने की बात की है, जो उन्हें जीवन में कोई खुशी नहीं दे रहे हैं। जब वह इन रिश्तों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ेंगे तो जिंदगी बदलेगी।
यही संदेश देने की उन्होंने कोशिश की है। हम आपके हैं कौन की तरह यहां पर भी दोनों पक्षों के बीच क्रिकेट मैच है।
युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई कहानी में कोई नया पहलू नहीं है। पहले भी कई फिल्मों में रिश्तों के बनने और बिखरने की कहानी सामने आई है। अवनीश की कहानी सिंपल है, लेकिन बांधने में कामयाब रहती है।
‘Dono’ से वह साबित करते हैं कि राजश्री की विरासत को आगे बढ़ाने की उनमें प्रतिभा है। 156 मिनट अवधि की इस फिल्म को चुस्त एडीटिंग से थोड़ा छोटा किया जा सकता था।
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