रुपए में गिरावट : मुसीबत बनी रुपए की गिरावट, 45 हजार करोड़ रुपए कम हुई विदेशी दौलत

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रुपए में गिरावट

रुपए में गिरावट :

पिछले कुछ हफ्तों में रुपए में गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ रहा है। हाल ही में, विदेशी मुद्रा भंडार में 45 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमी आई है। यह 14 हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में आई सबसे बड़ी गिरावट है।

रुपए में गिरावट
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रुपए में गिरावट प्रभाव:

  • व्यापार घाटा: भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है, यानी आयात निर्यात से ज्यादा हो रहा है। इससे विदेशी मुद्रा की मांग बढ़ रही है और रुपए पर दबाव पड़ रहा है।
  • अमेरिकी डॉलर मजबूत: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है। इससे अन्य मुद्राओं, जिनमें रुपया भी शामिल है, कमजोर हो रही हैं।
  • विदेशी निवेश में कमी: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने हाल ही में भारतीय शेयर बाजार से भारी मात्रा में धन निकाला है। इससे भी रुपए पर दबाव पड़ा है।
  • महंगाई: बढ़ती महंगाई के कारण आयात महंगा हो रहा है, जिसके लिए अधिक विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है।
रुपए में गिरावट
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रुपए में गिरावट गिरावट के कारण:    

रुपए में गिरावट आर्थिक मामलों में ऐसे बदलाव का समर्थन करने के लिए, यह आवश्यक है कि हम पहले समझें कि इसके पीछे क्या कारण हैं। विदेशी दौलत के निवेश में कमी का कारण और रुपये में गिरावट के पीछे छिपी वजह क्या है?

पहले, विदेशी निवेशकों की तबाही का कारण उनके सामर्थ्य की कमी, आर्थिक नीतियों में परिवर्तन, और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में बदलाव हो सकता है। आर्थिक नीतियों में किए गए परिवर्तन और निवेश के प्राकृतिक जोखिम भी इस प्रकार की स्थितियों का कारण बन सकते हैं। विदेशी निवेशकों को अपने निवेश के लिए भारत को एक सुरक्षित और आकर्षक स्थल के रूप में देखना बहुत महत्वपूर्ण है।

रुपए में गिरावट
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रुपये में गिरावट के  सरकारी उपाय:

  • आयात महंगा: रुपए की गिरावट से आयात महंगा हो जाता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
  • विदेशी कर्ज महंगा: विदेशी मुद्रा में लिया गया कर्ज भी महंगा हो जाता है, जिससे सरकार और कंपनियों पर बोझ बढ़ जाता है।
  • निर्यात को बढ़ावा: कमजोर रुपए से निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है क्योंकि विदेशी खरीदारों के लिए भारतीय सामान सस्ता हो जाता है।
रुपए में गिरावट
रुपए में गिरावट

दूसरे, रुपये में गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह शामिल हो सकता है राजनीतिक और आर्थिक स्थिति, व्यापारिक गतिविधियों का संक्षिप्त अवधारणा, और अंतरराष्ट्रीय विपणन की स्थिति। रुपये की मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, और इसकी गिरावट आर्थिक संदेह का प्रतीक हो सकती है।

रुपए में गिरावट की स्थिति में, सरकार को नई आर्थिक नीतियों को अपनाने की आवश्यकता हो सकती है। विदेशी निवेशकों के लिए बाजार में स्थिरता का माहौल बनाने के लिए सरकार को नवाचार करने की जरूरत हो सकती है, ताकि वे भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित हों।

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