किसान के बेटे ने तैयार की हाइड्रोजन से चलने वाली कार, 150 रुपये के खर्च से 250 किमी. का सफर

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भारत में पेट्रोल-डीजल के अलावा दूसरे ईंधन पर जोर दिया जा रहा है। केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकारी भी आए दिन हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली कारों पर बात करते रहते हैं। ऐसे में एक किसान के बेटे हर्षल नक्शाने ने हाइड्रोजन से चलने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नियंत्रित कार बना दी है।

मैकेनिकल इंजीनियर हर्षल ने यह कार यवतमाल की तहसील वानी में रहने वाले अपने बचपन के दोस्तों के साथ बनाई है, जिसे खुद की बनाई गई वर्कशॉप में तैयार किया गया है। कार का नाम ‘सोनिक वन’ रखा गया है जो पूरी तरह से भारत में निर्मित इलेक्ट्रिक कार है।

किसान के बेटे ने तैयार की हाइड्रोजन से चलने वाली कार, 150 रुपये के खर्च से 250 किमी. का सफर

उनका कहना है कि यह कार एक लीटर लिक्विड हाइड्रोजन की मदद से 250 किमी तक का माइलेज देती है। अभी एक लीटर लिक्विड हाइड्रोजन की कीमत 150 रुपए के करीब पड़ती है। सोनिक वन कार में पेट्रोल- डीजल ईंधन वाले वाहनों की तुलना में बेहतर पिकअप है और वहीं इसकी टॉप स्पीड 200 किमी प्रति घंटा की है।

उनका कहना है कि उन्होंने ‘एआईकार्स’ नाम से इसे कार निर्माता के रूप में पंजीकृत किया है। जिसके संस्थापक और सीईओ हर्षल नक्शाने हैं। उनका लक्ष्य 2024 तक इन कारों की डिलीवरी शुरू करना है।

उनका दावा है कि उन्होंने हाल ही में वानी से नागपुर तक कार चलाकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी इसके प्रदर्शन को दिखा चुके हैं। जिसके बाद उन्हें इसके लिए व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने के लिए सभी प्रकार का समर्थन का आश्वासन भी मिल चुका है।

किसान के बेटे ने तैयार की हाइड्रोजन से चलने वाली कार, 150 रुपये के खर्च से 250 किमी. का सफर

हर्षल ने बताया कि, “स्कूल में पढ़ाई के समय से ही हम कारों के दीवाने थे और तभी से हमें भारत की सुपरकार बनाने का सपना था। इसी ध्यान में रखते हुए नागपुर के रायसोनी कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की।”

उनके बचपन के दोस्त, कुणाल असुतकर, दानिश शेख, प्रज्वल जामदाले को एआईकार्स कंपनी का क्रमशः सीएफओ, सीओओ और सीआईओ बनाया गया है। इन्होंने कार बनाने से संबंधित कई कौशल हासिल किए और साथ में पिछले साल वानी में वर्कशॉप शुरू करने में खूब मदद भी की।

हर्षल ने अपने इस कार के सफर को विस्तार से बताते हुए कहते है कि, “कार बनाने का हमने शुरू से ही उद्देश्य बना रखा था। हमने पहले से सोच के रखा था कि हम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं करेंगे। बता दें कि वह इसकी पेटेंट तकनीक को किसी बड़ी कंपनी को नहीं बेचेंगे और यवतमाल में खुद का प्लांट स्थापित करेंगे।

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