मुगल बादशाह की रंगीन रात के लिए इतने हजार महिलाएं रहती थीं तैनात, फिर अंदर से निकलता था जनाजा

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नई दिल्लीःकोई बादशाह(राजा) इतना रंगीला हो जाए कि वह हरम में महिलाओं को बुलाए और बाद में उनकी लाश ही बाहर निकले तो फिर यह बात सुनकर आप भी चौंक रहे होंगे। चौंकिए मत यह बात सौ फीसदी सच है, लेकिन बहुत पुराने है। कुछ शताब्दियों पर राजा अकबर का राज था, जिनका जलवा देश ही नहीं विदेशों में भी था, जिनके हुक्म हर वर्ग के लोग मानते थे। राजा का महल भी किसी फाइव स्टार बिल्डिंग से कम नहीं थे। राजा के शौक भी आज के बड़े नामी लोगों से कम नहीं थे। राजमहल में हरम स्थान की चर्चा और सत्यता किसी से छुपी नहीं है। इस हरम में मखमली चार, खूबस सूरत पर्दों से सुसज्जित स्थान हर किसी के लिए चौंकाने वाला रहता थे।

हरम में हर उम्र की महिलाओं का आना जाना लगा रहता था। यहां जब बादशाह एंट्री करता था, तो सुंदर-सुंदर श्रंगार किए महिलाएं सेवा में लग जाया करती थी। ऐसी स्थिति में राजा की रात बड़ी हसीन बीतती थी। राजा की मर्जी होती थी कि वह रा-त बिताने के लिए किस महिला को चुनें। रानी भी चुपचाप देखती रहती थी।

अकबर युग में कई ऐसे शब्द थे, जिनका अर्थ निकालना आज की पीढ़ी के लिए बड़ा मुश्किल काम हो जाता है। अब चर्चा हरम की चल रही है, जिसका मतलब आप भी जानना चाहते होंगे। हर एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब एक ऐसा स्थान जिसका किसी को पता ना (छिपा हुआ) हो। मुगल राज में इस स्थान पर सुंदर-सुंदर महिलाओं को लाया जाने लगा था। अपनी किताब आईन-ए-अकबरी में लेकर अबुल फजल ने इसके लिए स्बीस्थान-ए-इकबाल शब्द का प्रयोग किया है। इस किताब में ही मुगलों के हरम के बार में काफी कुछ खुलासा किया है।

कुछ लेखकों ने हरम को महिलाओं के रहने का अलग स्थान बताया है। यहां महिलाएं राजाओं की इच्छा पूर्ति के लिए आती थी। हर वर्ग, क्षेत्र, धर्म, संस्कृति की महिलाएं रहती थीं। न केवल बादशाह के रिश्तेदार, बल्कि उनकी हर जरूरत का खयाल रखने वाली हर तरह की महिलाएं और यहां उनके लिए पर्दा भी जरूरी था।

किताब के अनुसार, हरम की पहली महिला मुगल काल के दौरान सामान्यतः बादशाह की मां ही होती थी। बाबरनामा और हुमायुंनामा में इसके कई उदाहरण पेश किए गए हैं, जिन्हें जानना भी आपके लिए बहुत ही जरूरी है। कई मौके ऐसे आते थे कि बादशाह की मां कई अवसरों पर उपस्थित रहती थी। मां के अलावा सौतेली मां और धाय यानी उपमाता या दाई मां भी रहती थीं। इतना ही नहीं मां के बाद रानी और दासियों का जमावड़ा रहता था।

मुगलों के समय में कई आगरा, फतेहपुर सिकरी,दिल्ली और लाहौर में हरम होते थ, जहां बादशाह का सबसे ज्यादा समय बीतता था। इनमें कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता था। इसके लिए वहां खूब पहरेदार भी तैनात किये जाते थे। गलत व्यवहार करने वालों को फांसी पर लटकाया जाता था। महिलाओं के हाथ में ही हरम के अंदर की सुरक्षा बड़े स्तर पर होती थी।

जो महिला एक बार यहां आ जाती उसके बाद यहां से उसका शव ही बाहर निकलता था। किताब के दावे के मुताबिक, 5,000 से भी ज्यादा महिलाएं अकबर के हरम में थीं। इनमें सैकड़ों के साथ बादशाह के शारीरिक संबंध हुए थे। हालांकि इतनी कड़ी व्यवस्था होती थी कि कोई जानकारी बाहर नहीं आती थी।

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