यहां स्त्री के रूप में होती है गणपतिबापा की पूजा, पढ़ें क्या है इसके पीछे का इतिहास

admin
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गणपति को पूजने वालों की देशभर में कोई कमी नहीं है, कोने-कोने में इनके कई मंदिर आदि स्थापित हैं, जहां इनके भक्तों इन्हें पूरी श्रद्धा विश्वास से पूजते हैं। इन मंदिरों में इनके विभिन्न रूप स्थापित हैं, जिनके पूजन-अर्चन का प्राचीन समय से विधान रहा है। कई लंबोदर के रूप से पूजा जाता है तो कहीं गजानन के रूप में।

परंतु आज हम आपको इनके ऐसे रूप के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में किसी को नहीं पता होगा। आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों और भगवान गणेश से जुड़ी ऐसी बात बताने जा रहे हैं जहां पर बप्पा को एक अलग ही अवतार में पूजा जाता है। जी हां देश में गणेश भक्ति की काफ़ी अहमियत है और मान्यता के अनुसार लोग कोई भी शुभ काम करने से पहले बप्पा की ही आराधना करते हैं।

भारत में बप्‍पा के ऐसे कई अनोखे मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग प्राचीन मान्‍यताएं प्रचलित है। आज हम आपको कुछ ऐसे अनोखे गणेश जी के मंदिर के बारे में बताएंगे जहां गणपति जी की स्त्री अवतार में पूजा होती है। हम जानते हैं ये जानकर आप सब बहुत हैरानी हो जाएंगे, मगर इंटेरनेट से मिली जानकारी के अनुसार ये सच है।

बता दें कि, गणेश जी के इस स्त्री अवतार को विनायकी कहा जाता है। काशी और उड़ीसा में गणेश जी के ऐसे स्‍वरूप की पूजा भी होती है। विनायकी देवी अपने एक हाथ में युद्ध परशु और दूसरे हाथ में कुल्‍हाड़ी थामे रहती हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु से लेकर इंद्र तक को किसी न किसी वजह से स्त्री रूप धारण करना पड़ा था। मगर ये बात कम ही लोग जानते हैं कि गणेश जी को भी एक बार स्त्री रुप धारण करना पड़ा था।

कहा जाता है कि गणेश के विनायकी रूप की मूर्तियां देश के कई मंदिरों में देखने को मिलती है। जिसमें से तमिलनाडु के चिदंबरम मंदिर, जबलपुर के पास चौसठ योगिनी मंदिर आदि शामिल हैं।

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