कितना ताकतवर है रूस का मिकोयन मिग-35, भारत को किया ऑफर, बोला- तकनीक भी देंगे

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रूस ने अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिग-35 को भारत को ऑफर किया है। रूस की सरकारी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने कहा है कि अगर भारत यह विमान खरीदता है तो हम 60 फीसदी ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी पर भी सहमत हैं। इतना ही नहीं, कंपनी ने मिग-35 विमान को मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाने का भी प्रस्ताव पेश किया है। यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के प्रमुख यूरी स्लूसर ने यह भी दावा किया कि मिग-35 के अलावा भारत के साथ कई दूसरे लड़ाकू विमानों की खरीद और अपग्रेडेशन को लेकर बातचीत जारी है। इनमें सुखोई-30 एमकेआई के फ्लीट का अपग्रेडेशन और 12 सुखोई-30 एमकेआई की खरीद भी शामिल है। रूस ने मिग-35 लड़ाकू विमान को भारतीय वायु सेना के एमआरएफए टेंडर के लिए पेश किया है। एमआरएफए के तहत भारत मीडियम रेंज के 114 लड़ाकू विमानों को खरीदना चाहता है। इसके लिए साब, इरकुट कॉर्पोरेशन, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और डसॉल्ट एविएशन ने अपने-अपने लड़ाकू विमानों को पेश किया है। जिन विमानों में सबसे ज्यादा टक्कर है, उनमें मिग-35 के अलावा, सुखोई एसयू-35, एफ-15 ईएक्स, राफेल, एफ-21, साब ग्रिपिन,और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं।

कितना ताकतवर है रूस का मिकोयन मिग-35, भारत को किया ऑफर, बोला- तकनीक भी देंगे

मिकोयन मिग-35 एक रूसी मल्टीरोल फाइटर जेट है। इस लड़ाकू विमान की टॉप स्पीड 2,100 किलोमीटर प्रति घंटा है। मिग-35 की लंबाई 17 मीटर और वजन 11000 किलोग्राम है। यह विमान 2000 किलोमीटर की रेंज में उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान को यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के एक डिवीजन मिकोयन ने डिजाइन किया है। मिग-35 4++ पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे मिग-29एम/एम2 और मिग-29के/केयूबी लड़ाकू विमानों को उन्नत करके बनाया गया है। रूसी डिफेंस इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार, यह मिग-29KR का एक अपग्रेडेड वेरिएंट है। इसे सिर्फ मार्केटिंग के लिए मिकोयन ने मिग-35 का नाम दिया है। इसका पहला प्रोटोटाइप मिग -29 एम 2 का एक मॉडल डिमोंस्ट्रेटर था, जिसे अस्थायी रूप से मिग-35 का नाम दिया गया था। लेकिन, बाद में एक दूसरा प्रोटोटाइप अलग मॉडल और अलग उपकरणों के साथ पेश किया गया। उसे ही मिग-35 का बेस वेरिएंट माना गया। मिकोयान ने पहली बार आधिकारिक तौर पर 2017 के मॉस्को एयर शो के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिग-35 को प्रस्तुत किया। इस सीरीज के पहले दो एयरक्राफ्ट ने 2019 में प्रवेश लिया।

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मिग-35 अकेले ही कई मिशन को दे सकता है अंजाम
इस लड़ाकू विमान के सिंगल सीट वेरिएंट को मिग-35S और डबल सीट वेरिएंट को मिग-35UB का नाम दिया गया। मिग-35 में मिग-29 के शुरुआती वेरिएंट्स की तुलना में एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियों में काफी सुधार किया गया है। इसमें सटीक निशाना लगाने वाली क्षमता और विशेष रूप से डिजाइन किए गए ऑप्टिकल लोकेटर सिस्टम लगाया गया है। इसका इस्तेमाल जमीन पर मौजूद दुश्मन के इंटरसेप्टर रडार से बचने के लिए किया जाता है। इस क्षमता के कारण मिग-35 अकेले के दम पर मल्टीरोल मिशन को अंजाम दे सकता है। अभी तक दुश्मन के क्षेत्र में कार्रवाई के लिए कई तरह के लड़ाकू विमानों का पैकेज बनाया जाता है, जिसमें एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर, फाइटर बॉम्बर, इंटरसेप्टर, ऑल वेदर फाइटर, रिकॉनसेंस फाइटर शामिल होते हैं।

रूस ने तेजस के बदले पुराने मिग-35 को किया था ऑफर
वर्तमान में सीरियल प्रोडक्शन में शामिल एफ-35 लड़ाकू विमान PESA रडार का इस्तेमाल करता है। हालांकि, इसमें AESA रडार का विकल्प भी मौजूद है। रियल प्रोडक्शन एयरक्राफ्ट में पहले की योजना के अनुसार थ्रस्ट वेक्टरिंग नॉजल नहीं दिया गया है। सोवियत संघ ने 1980 के दशक में मिग-35 नाम से एक अलग डिजाइन का लड़ाकू विमान प्रस्तुत किया था। यह डिजाइन एयर-टू-एयर और सेकेंडरी एयर-टू-ग्राउंड रोल के लिए सिंगल-इंजन वाला लड़ाकू विमान था। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारतीय पायलटों ने उस समय सोवियत संघ के इस नए लड़ाकू विमान का फ्लाइट टेस्ट भी किया था। संभवत, उस समय मिग-35 को भारत में विकसित किए जा रहे एलसीए के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, भारत नहीं माना और खुद के लड़ाकू विमान को बनाने का प्रोग्राम जारी रखा। जिसका नतीजा आज एलसीए तेजस के रूप में हमारे सामने है।

26 जनवरी 2017 में पेश किया गया नया मिग-35
26 जनवरी 2017 को मिकोयान ने रूसी सरकार के सामने नए मिग-35 को प्रस्तुत किया। इसके बाद मिग-35 को इसके संभावित खरीदार देशों के लिए एक बड़ी फायदेमंद डील बताकर पेश किया गया। मिग-35 के सबसे महत्वपूर्ण अपग्रेडेशन में एक पूरी तरह से नई फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, अत्यधिक उन्नत कॉकपिट, अपग्रेडेड एवियोनिक्स और हवा से जमीन पर निशाना लगाने वाले हथियारों के लिए इंट्रीग्रेटेड प्रिसिजन गाइडेड टारगेटिंग कैपिबिलिटी शामिल हैं। मिग-35 एक रूसी नॉन रिमूवेबल एनपीके-एसपीपी ओएलएस-के इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग एंड सर्विलांस सिस्टम पॉड से सुसज्जित है। इसे सीधे फ्यूजलॉर्ज के नीचे और एयरक्राफ्ट के स्टारबोर्ड के दाहिने लगाया गया है। यह पहले के रूसी विमानों की तुलना में मिग-35 को स्पेशल ऑपरेशनल ऑटोनॉमी प्रदान करता है।

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बेहद ताकतवर हैं मिग-35 के दोनों इंजन
मिग-35 में दो FADEC RD-33MK मोर्स्काया ओसा टर्बोफैन इंजन लगे हुए हैं। RD-33MK पुराने पड़ चुके Klimov RD-33 टर्बोफैन का एक अपग्रेडेट वेरिएंट है। Klimov RD-33 टर्बोफैन इंजन को MiG-29K और MiG-29KUB को शक्ति प्रदान करने के लिए बनाया गया था। यह बेसलाइन माडल की तुलना में 7 फीसदी ज्यादा ताकतवर है, क्योंकि इसमें कूल्ड ब्लेड्स में मॉडर्न मेटेरियल का उपयोग किया गया है। यह इंजन 9000 किलोग्राम फोर्स का थ्रस्ट प्रदान करता है। नया इंजन पूरी तरह से धुंआ रहित हैं और इसमें ऐसे सिस्टम शामिल हैं जो इन्फ्रारेड और ऑप्टिकल विजिबिलिटी को कम करते हैं। इससे गर्मी पहचानने वाली मिसाइलें चकमा खा सकती हैं।

क्रूज मिसाइल को लॉन्च कर सकता है मिग-35
जनवरी 2017 में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान, यूएसी के अध्यक्ष यूरी स्लीसार ने बताया कि मिग -35 भविष्य में नए तरह के लेजर हथियार का इस्तेमाल कर सकता है। मिग-35 को Kh-36 ग्रोम-1 क्रूज मिसाइल को लॉन्च करने में सक्षम बनाया गया है। इससे इसे लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता मिलती है जो मिग-29 के पास नहीं है। इसके अलावा यह लड़ाकू विमान कई अन्य भारी भरकम मिसाइलों को लॉन्च कर सकता है।

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