मुस्लिम शख्स ने कायम की भाईचारे की मिसाल, हिन्दू दोस्त को किडनी देकर बचाई जान

admin
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दोस्तों आज का आर्टिकल उन लोगो के लिए है जो इंसान होने के साथ साथ एक अच्छे दोस्त और हमदर्द है किसी के लिए.बिना किसी भेदभाव-जाती,ऊंच-नीच को भुला कर जो सबसे पहले मदद को आगे आये ऐसे इंसान के लिए,दोस्तों ये खूबी हर इंसान में होती है,मगर कुछ वजह से दिल का ये अहसास वाला हिस्सा कही खो जाता है,दोस्तों ये हिस्सा आप के दिल से निकल सकता है मगर आप की आत्मा से नहीं

दोस्तों भारत की आज़ादी और पार्टीशन के बाद जितनी नफरत पैदा नहीं हुई थी जितनी की आज के समय में इस सोशल मिडिया ने नफरत फैलाई है,दोस्तों होता क्या है की एक समूह होता है जो की कुछ पैसो की वजह से ऐसा काम करते है,जिनके लाइक-और कमेंट से वो ट्रेंडिंग में आते है और उस की वैल्यू बढ़ जाती है.और काम दिमाग वाले ऐसे पोस्ट-फोटो लिंक पर आकर अपने कम दिमाग होने का साबुत देते है,दोस्तों इन्ही में कई आई डी ऐसी होती है जो की फ़र्ज़ी होती है,जो की बातों को तूल देने के लिए बनाई जाती है.

दोस्तों जिससे हम अपनी सहन शक्ति को खो देते है और बहस करने लग जाते है,दोस्तों सबसे बुरा जब होता है जब हम बहस में भाषा की मर्यादा को खोते हुवे बहस करने लग जाते है,

दोस्तों आज के इस नफरतो की हवाओ के बिच कुछ ऐसी खबर सामने आई जो हम आप के साथ शेयर कर रहे है.अगर आप को अच्छी लगे तो कमेंट में “we are friends “जरूर लिखे. दोस्तों पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के रहने वाले हसलू मोहम्मद ने. हसलू ने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए अपने हिंदू दोस्त की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान देने का निर्णय लिया है.हसलू ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग में आवेदन देकर किडनी दान देने की मंजूरी मांगी थी.

इस पर स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय पुलिस को जांच का आदेश दिया ताकि पता चल सके कि हसलू अपनी किडनी पैसों के लिए तो नहीं बेच रहा है. लेकिन पुलिस जांच में पता चला कि उसने किसी भी तरह का सौदा नहीं किया है. जल्द ही पुलिस इससे संबंधित रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंप देगी.

जब हसलू को पता चला कि उसके दोस्त को मदद की जरूरत है और उसकी किडनी खराब हो गई है. उसे फौरी तौर पर किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत है तो हसलू ने अपनी एक किडनी देने का फैसला किया ताकि उसके दोस्त को नया जीवन मिल सके. हसलू का कहना है कि मानव जीवन सबसे बहुमूल्य है और धर्म अलग होने से क्या होता है, खून तो एक ही है ना. एक किडनी के सहारे मैं अपनी जिंदगी काट सकता हूं, लेकिन मेरे दोस्त को किडनी देकर मैं उसे नया जीवन दे सकता हूं.

हसलू की बेगम मनोरा का कहना है कि वह अपने पति के फैसला का सम्मान करती हैं और जो एक इंसान को करना चाहिए वहीं उनके पति कर रहे हैं. हसलू के 5 और 7 साल के दो बेटे हैं. हाल ही में 28 साल के अचिंत्य को डायलिसिस के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.

उनके एक 8 साल का बेटा है और अचिंत्य का कहना है कि हसलू ने मेरी केवल जान बचाने के लिए इतना बड़ा कदम उठाया है. मैं और मेरी फैमिली उनका यह एहसान कभी नहीं चुका पाएंगे. अगर हसलू आगे नहीं आता तो मेरे जाने के बाद मेरा पूरा परिवार बिखर जाता

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