Nanda Sati Gets Gold Medal In Music From President:गढ़वाल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट को संगीत में प्रेसिडेंट से मिला गोल्ड मेडल

admin
9 Min Read

Nanda Sati Garhwal University:

सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की मांगल गर्ल के नाम से फेमस है Nanda Sati, कर रही है पारंपरिक मांगल गीतों को नई पहचान दिलाने का सराहनीय काम….

आज जबकि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की समृद्ध लोक संस्कृति, लोक संगीत और विलुप्त होती परंपराएं पुनः जीवित हो रही है तो इसका सारा श्रेय प्रदेश के उन युवाओं को जाता है जो इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

चाहे वो कुमाऊं मंडल की लोककला ऐंपण हों या फिर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शुभ अवसरों पर गाए जाने वाले मांगल गीत, दोनों ही को सहेजने में युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने न केवल राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से संगीत के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल किया है बल्कि वह पारंपरिक मांगल गीतों को नई पहचान दिलाने का सराहनीय काम भी कर रही है।

जी हां… हम बात कर रहे हैं गढ़वाल यूनिवर्सिटी की होनहार छात्रा नंदा सती की, जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीते दिनों मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत विषय) में गोल्ड मेडल प्रदान किया है।

नंदा की सराहनीय पहल को देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जिस उम्र में आज की युवा पीढ़ी मोबाइल, मेट्रो व गैजेट की दुनिया में खोई रहती है उस उम्र में नंदा का अपनी लोक संस्कृति से इतना लगाव उन्हें एक अलग पंक्ति में खड़ा करता है।

About Nanda Sati:

आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की मांगल गर्ल जैसे उपनामों से अपनी खास पहचान बनाने वाली Nanda Sati, मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के पिंडर घाटी के नारायण बगड़ गांव की रहने वाली है।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी नंदा बचपन से ही शिक्षा, साहित्य, संगीत, वादन एवं क्रीड़ा जैसे अनेक क्षेत्रों में अग्रणी रही है।

बता दें कि अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त करने वाली नंदा ने बालिका इंटर कॉलेज नारायण बगड़ से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय से संगीत विषय में परास्नातक की डिग्री हासिल की है।

पहाड़ी गीतों के संरक्षण व संवर्धन के लिए उन्हें न केवल लायंस क्लब एवं उत्सव ग्रुप द्वारा भी सम्मानित किया गया है बल्कि महज 22 वर्ष की छोटी उम्र में नंदा सती के गाए जाने वाले मांगल गीतों व लोकगीतों को सुनकर हर कोई अचंभित एवं मंत्रमुग्ध हो जाता है।

इतना ही नहीं वादन के क्षेत्र में भी वह किसी संगीतकार से कम नहीं है खासतौर पर हारमोनियम पर उनकी पकड़ वाकई अद्भुत है।

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Nanda Sati (@nandasati99) 

Nanda Sati’s Passion:

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के 11वें दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान की गईं।

दीक्षांत समारोह में सीमांत जनपद चमोली की पिंडर घाटी के नारायणबगड ब्लॉक के नारायणबगड गांव की बेटी मांगल गर्ल नंदा सती को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत विषय) में गोल्ड मेडल प्रदान किया।

Nanda Sati ने मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत) में गोल्ड मेडल हासिल करके ये संदेश दिया है कि पहाड़ की बेटियां केवल खेत खलिहान, चूल्हा-चौके तक ही सीमित नहीं है, अब वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और सफलता हासिल करने में सक्षम हैं।

नंदा सती की मां और पिताजी अपनी बेटी को गोल्ड मेडल से सम्मानित होने के समारोह का हिस्सा बने। उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। कहती हैं कि हमें खुशी है कि उसने पहाड़ का नाम रोशन किया है। नंदा ने अपनी सफलता का सारा श्रेय मां-पिताजी और शिक्षकों को दिया।

नंदा के पिताजी ब्रह्मानंद सती पंडिताई का कार्य करते हैं जबकि मां गृहिणी हैं। तीन बहनों में नंदा सबसे छोटी हैं। एक छोटा भाई भी है। प्राथमिक से लेकर 12वीं तक की शिक्षा नंदा नें नारायणबगड से प्राप्त की।

हेमवंती नंदन केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातक और संगीत विषय में स्नाकोत्तर की डिग्री हासिल की है। 22 साल की छोटी सी उम्र में नंदा सती द्वारा गाये जानें वाले मांगल गीतों और लोकगीतों को सुनकर हर कोई अचंभित हो जाता है।

मांगल गीतों की शानदार प्रस्तुति पर उनकी लोक को चरितार्थ करती जादुई आवाज और हारमोनियम पर थिरकती अंगुलियां लोगों को झूमने पर मजबूर कर देती हैं।

लोगों के मध्य नंदा सती, मांगल गर्ल के नाम से प्रसिद्ध है। यही नहीं हारमोनियम पर उनकी पकड़ वाकई अदभुत है। जिस उम्र में आज की युवा पीढ़ी मोबाइल, मेट्रो और गैजेट की दुनिया में खोई रहती है उस उम्र में नंदा का अपनी लोकसंस्कृति से इतना लगाव उन्हें अलग पंक्ति में खड़ा करता है।

नंदा ने मांगल गीतों के संरक्षण और संवर्धन के जरिये एक नयी लकीर खींची हैं। भले ही नंदा सती के घर के ठीक सामने बहनें वाली पिंडर नदी में हर दिन लाखों क्यूसिक मीटर पानी बिना शोर शराबे के यों ही बह जाता हो परंतु नंदा के मांगल गीतों की गूंज देश दुनिया तक सुनाई दे रही है।

नंदा पहाड़ के लोक में रचे बसे मांगल गीतों और लोकगीतों के संरक्षण और संवर्धन में बड़ी शिद्दत से जुटी हुई हैं।

ये होते हैं मांगल गीत

उत्तराखंड में वर्षों सें शुभ कार्यों में मांगल गीत गायन की परंपरा रही है। ये मांगल गीत पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते रहे। यहां के घर, गांवों में शादी, जन्मोत्सव, मुंडन आदि जैसे मांगलिक समारोह के दौरान मांगल गीत गाए जाते हैं।

मांगल गीतों में सीख, आशीर्वाद, संस्कार होते हैं। शादी के दौरान अलग-अलग मांगल गीत होते हैं। विदाई के समय जहां माता पिता को ढांढस बंधाने के लिए मांगल गीत गाए जाते हैं।

वहीं बारात स्वागत के दौरान माहौल को खुशनुमा करने के लिए मजाकिया अंदाज में रोचक मांगल गाए जाते हैं। इन गीतों को गाने वाली महिलाओं के समूह को मंगलेर कहा जाता है।

गांव के बुजुर्गों से विरासत में मिली मांगल और लोकगीतों की समझ

Nanda Sati कहती हैं लोकगीत और मांगल गीत हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान हैं। लोकगीत पीढ़ी दर पीढ़ी एक-दूसरे को हस्तांतरित होते हैं।

इनके बिना पहाड़ के लोक की कल्पना करना असंभव है। मैं बहुत ख़ुशनसीब हूं कि मुझे मांगल गीतों की समझ और महत्ता अपने गांव के बुजुर्गों से विरासत में मिली, जो बरसों से इनको संजोते आ रहें हैं।

कोरोना काल में डिजिटल प्लेटफॉर्म से हजारों लोगों तक पहुंचाया

भले ही कोरोना काल लोगों के लिए दुःस्वप्न साबित हुआ हो लेकिन Nanda Sati ने इस कठिन दौर में भी अपनी मांगल गीतों के जरिये लोकसंस्कृति की सौंधी खुशबू को देश विदेश तक हजारों लोगों तक पहुंचाया।

नंदा सती नें लॉकडाउन की अवधि में विभिन्न ग्रुपों, संगठनों, फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के जरिये मांगल गीतों की शानदार प्रस्तुति से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था।

जिस कारण लोगों को झुकाव अपने पौराणिक मांगल गीतों की ओर हुआ। खासतौर पर युवा पीढ़ी के युवाओं को नंदा की ये अनूठी मुहिम बेहद पसंद आई।

नंदा सती बच्चों को हारमोनियम बजाने और मांगल गीतों को गाने की ट्रेनिंग भी देती हैं। कोरोना काल में नंदा नें बच्चों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया। नंदा सती प्रतिभाशाली छात्रा और खिलाड़ी भी हैं। एनसीसी की होनहार छात्राओं में भी शामिल हैं।

ये भी पढ़ें :

Amrish Puri’s Daughter Namrata Puri’s Beauty: अमरीश पुरी की बेटी नम्रता की ख़ूबसूरती के प्रशंसक भी दिवाने हो गए, कहा ‘अगर एक्ट्रेस होती तो बाकी की हसीनाओं की कर देती छुट्टी’

Sheezan Khan’s Trouble Increased In Tunisha Sharma Suicide Case: तुनिशा शर्मा आत्महत्या मामले में शीज़ान खान की मुश्किलें बढ़ीं, हाई कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला

TAGGED:
Share This Article