Radhika Madan’s New Movie ‘Sajini Shinde Ka Viral Video’: राधिका मदान की ये फिल्म बताती है कि औरत कोई आधार कार्ड नहीं है, फिल्मों की भीड़ के बीच एक अलग फिल्म

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Radhika Madan’s Sajini Shinde Ka Viral Video:

Radhika Madan और निम्रत कौर की फिल्म Sajini Shinde Ka Viral Video आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म देखने जा रहे हैं तो पढ़ लें रिव्यू.

Sajini Shinde Ka Viral Video Movie Review:

इस फिल्म में एक सीन है जहां स्कूल में एक टीचर का वायरल वीडियो चलाया जाता है और वहां रखी सरस्वती मां की मूर्ति को ढक दिया जाता है कि भगवान ये सब ना देखें.

बाकी इंसान तो जो मर्जी देख लें जबकि भगवान तो सब देखते हैं. यही इस फिल्म को सार है. जमाना सोशल मीडिया का है. हर रोज कुछ ना कुछ वायरल होता रहता है.

लोग व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड करते हैं. मजे लेकर देखते हैं लेकिन वो वीडियो किसी की जिंदगी को नर्क बना सकता है. उसे जान लेने पर मजबूर कर सकता है.

आज के जमाने से रिलेट करती है ये फिल्म काफी शानदार है. कई जबरदस्त मैसेज देती है लेकिन दिक्कत ये है कि ऐसी अच्छी फिल्में सिर्फ ट्विटर पर ट्रेंड होकर रह जाती हैं, दर्शकों तक नहीं पहुंचती.

Radhika Madan’s New Movie की कहानी

ये कहानी है सजनी नाम की एक टीचर की है जो एक महाराष्ट्रियन परिवार से है. आईटी कंपनी में काम करने वाले एक लड़के से उसकी शादी होने वाली है.

यानि एक सीधी सादी सिंपल जिंदगी. एक स्कूल ट्रिप पर जाती है और वहां वो नशे में कुछ लड़कों के साथ डांस करती है. उसका वीडियो बन जाता है और वायरल हो जाता है औऱ इसके बाद तो उस वीडियो पर हंगामा मच जाता है और सजनी गायब हो जाती है.

सवाल उठता है कि क्या सजनी ने सुसाइड कर लिया है, कहां है सजनी और क्या ये किसी की साजिश है. कैसे एक वायरल वीडियो उसकी जिंदगी बदल देता है यही फिल्म की कहानी है और उसे बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है.

कैसी है Sajini Shinde Ka Viral Video

बहुत से लोगों ने शायद इस फिल्म का नाम नहीं सुना होगा क्योंकि इसमें कोई बड़ा हीरो नहीं है लेकिन शायद यही इस फिल्म की खूबी है. क्योंकि इस फिल्म में तीन हीरोइनें हैं और वो इस फिल्म का जान हैं.

ये फिल्म तेजी से आगे बढ़ती है. किरदारों के बारे में बताने में ज्यादा समय नहीं लिया गया है और जल्द फिल्म मुद्दे पर आ जाती है. आगे क्या होने वाला है, इसकी दिलचस्पी बनी रहती है.

ये फिल्म साथ साथ कई मैसेज भी देती है. फिल्म का एक डायलॉग  है औरत आधार कार्ड नहीं है, कहीं भी इस्तेमाल करो और यही इस फिल्म के जरिए बताने की कोशिश भी कई गई है कि औरत के साथ किसी भी तरह का सलूक नहीं किया जा सकता.

एक्टिंग

Radhika Madan ने सजनी का किरदार निभाया है और उन्होंने अपना बेस्ट दिया है. उनकी एक्टिंग कमाल की है. वो आपको सजनी के साथ जोड़ लेती हैं और आप सजनी के दर्द में उसके साथ हो लेते हैं.

निम्रत कौर ने जांच अधिकारी की भूमिका निभाई और शानदार तरीके से निभाई है. वो फिल्म में ह्यूमर भी लाती हैं लेकिन अपने अंदाज में. भाग्यश्री ने कमाल का काम किया है वो आपको चौंका देती हैं.

डायरेक्शन

मिखिल मुसाले ने फिल्म का डायरेक्शन किया है और फिल्म पर उनकी पकड़ साफ दिखती है. किससे क्या करवाना है, किसको कितना स्क्रीन स्पेस देना है, कहानी को कैसे आगे बढ़ाना है, हर चीज में मिखिल ने अच्छा काम किया है.

राधिका मदान ने कुछ समय पहले सोशल मीडिया में बॉडी पॉजिटिविटी पर एक पोस्ट लिखा था. जहां उन्होंने अपनी कमियों को बताते हुए खुद को स्वीकार करने की बात कही थी. पोस्ट लिखने की वजह पर वो हमसे बातचीत करती है.

राधिका मदान को इंडस्ट्री में एक लंबा वक्त हो गया है. हालांकि करियर की शुरुआती दौर में राधिका को बहुत अतरंगी ऑडिशनों से भी गुजरना पड़ा था.

ग्लैमर इंडस्ट्री में अक्सर अपनी कमियों को छिपाने वाले एक्टर्स के बीच राधिका ने सोशल मीडिया पर अपनी बॉडी टाइप, हाइट और लुक्स को लेकर एक खूबसूरत पोस्ट भी किया था.

वरना आप भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाएंगे

अपने ऑडिशन एक्सपीरियंस पर राधिका कहती हैं, ‘हम ऐसी इंडस्ट्री में हैं, जहां लगभग हर दिन हमें आईना दिखाया जाता है. आप रोज लोगों की अलग-अलग धारणाओं को फेस करते हैं.

हर किसी के पास आपको लेकर एक ओपिनियन तो होगा ही. बहुत जरूरी है कि हम इस इंडस्ट्री में कुछ ओरिजनल लेकर आए, यह किसी के जिद्द से ही पूरी हो पाएगी.

वो क्रांति आनी जरूरी है. वर्ना आप भी उसी भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाएंगे. आपको अपना खांचा खुद बनाना है, तो जद्दोजहद करनी ही पड़ेगी.’

 

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आप खुद पर ही शक करने लगते हैं

राधिका कहती हैं, ‘मेरी समझ में तो मैं यही मानती हूं कि कोई रूल बुक नहीं होता है. आपको खुद पर काम करने की जरूरत होती है. ढर्रे पर चलने वालों की समय सीमा बहुत कम होती है.

आपको रोजाना कुछ नया ऑफर करना होगा, तब ही सरवाइव की गुंजाइश बचती है. नया ऑफर तब ही किया जा सकता है, जब आप खुद के टच में हो, खुद को एक्सेप्ट करें.

समझें कि आप कैसे सबसे अलग हैं. इंडस्ट्री यही चीज आपको कुछ सालों में सि‍खा देती है, जिसे समझने में शायद जिंदगी लग जाए. रोज आप किसी से मिल रहे है, रोज कोई एक नई धारणा बना रहा है.

कई बार आपको वो सेल्फ डाउट तक में डाल देते हैं. इस दौरान मैंने एक बात गांठ बांध ली थी कि मैं कभी अपनी वैल्यूज के साथ समझौता कर आगे नहीं बढ़ने वाली हूं.

बॉडी इमेज की वैल्यूज, आपके सोच की वैल्यूज, ये ही तो आपकी ओरिजनैलिटी है. इससे कैसे ढंका जा सकता है.

मुझे पता है कि आप क्राफ्ट को संवारने में तमाम तरह की चीजों को एक्सपेरिमेंट कर सकते हो, लेकिन जब दिमाग ही आपका साथ न दे, तो आगे कैसे बढ़ा जा सकता है. वहीं से आप खुद को स्वीकार करने लगते है और सिक्यॉरिटी वहीं से आती है.’

सब एक से दिखने लगे, तो मशीन नहीं लगेंगे

राधिका आगे बताती हैं, ‘जब मैं शुरुआत दिनों में ऑडिशन दिया करती थी, तो उस वक्त महसूस किया कि लुक्स बहुत मैटर किया करता था. ऑडिशन के दौरान भी एक सेट पैरामिटर तय होता था.

उस वक्त मैंने यही सोचा कि हमें जब एक ही सा हाइट, रंग, बॉडी टाइप बनाकर खुद को प्रेजेंट करना है, तो यह एक मशीन से निकाले एक से प्रोडक्ट नहीं लगेंगे. हम सब कॉपी ही तो नजर आएंगे. मैं ऑडियंस के तौर पर एक जैसे ही लोगों को क्यों देखना चाहूंगी.

मैं कभी वर्सिटैलिटी एंजॉय ही नहीं कर पाऊंगी. बाद में मैंने खुद को समझाया और फिर एक कॉन्फिडेंस के साथ ऑडिशन के लिए निकलती थी कि खुद की हाइट, वजन और लुक के जरिए मैं नई वैरायटी ऑफर करूंगी.’

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