मैंने बाबर और तैमूर की सरजमीं का दौरा किया जो उज्बेकिस्तान के ‘राष्ट्रीय नायक’ हैं

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मैंने ताशकंद रेलवे स्टेशन पर मिले उन सज्जन से पूछा कि उन्होंने हिंदी कहां से सीखी. उन्होंने टूटी-फूटी अंग्रेजी में मुझसे कहा, ‘मुझे हिंदी पसंद है, मुझे राज कपूर पसंद हैं. मेरा जूता है जापानी.’ वह राज कपूर की 1955 में आई फिल्म श्री 420 के एक गीत की पंक्ति का जिक्र कर रहे थे, वो एक ऐसा दौर था जब बॉलीवुड फिल्में सौहार्द और सांस्कृतिक आचार-व्यवहार को बढ़ावा देने वाली होती थीं, न कि आंख मूंदकर हॉलीवुड की नकल करने वाली. उन्होंने बताया कि यह उनकी पसंदीदा फिल्म है, जिसे उन्होंने अपने बचपन में देखा था और जिसने उन्हें हिंदी सीखने के लिए प्रेरित किया.

मैंने उन्हें अपनी इस यात्रा का उद्देश्य बताया—शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन. वह भारतीयों के अपने देश आने को लेकर बेहद खुश नजर आ रहे थे.

मुझे ट्रेन में सवार होने से पहले 110 डॉलर के नोट को उज्बेकिस्तान सोम में बदलवाना था. निश्चित तौर पर, इसके लिए आपको मनी-एक्सचेंज बूथ की तलाश करने की कोई जरूरत नहीं है. बस आसपास किसी एटीएम में चले जाएं. अब यहां जब एक डॉलर की कीमत 11,000 सोम है तो जाहिर ही है कि 100 डॉलर को एक्सचेंज कराने के बाद आप खुद को किसी करोड़पति से कम नहीं समझेंगे.

जैसे ही मैं अफ्रोसियोब पर चढ़ी, मेरे अंदर एक अलग ही तरह का उत्साह भर गया था—तैमूर और बाबर की सरजमीं देखने का मेरा बहुप्रतीक्षित सपना अगले कुछ ही घंटों में सच होने जा रहा था!

लेकिन जो मैंने कभी नहीं सोचा था, वो यह कि मैं किसी स्पेन-निर्मित टैल्गो बुलेट ट्रेन में सवार होकर वहां तक पहुंचूंगी, जो 137 मील प्रति घंटे की रफ्तार से विशाल शुष्क मैदानों और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों के बीच से गुजरती होगी. यह ट्रेने छोटे-मोटे गांवों और कस्बों से भी होकर गुजरती है जो कभी सिल्क रोड करने जाने वाले रास्ते के मुख्य ट्रांजिट प्वाइंट (पारगमन बिंदु) हुआ करते थे.

इतिहास, ऐश्वर्य, और आधुनिकता
एक प्राचीन स्थल पर रखे गए नाम वाली ट्रेन अफ्रोसियोब ताशकंद को समरकंद और उसके बाद पवित्र शहर बुखारा से जोड़ती है. इन शहरों में आकर आपको जो अनुभव होता है, उसका किताबों में उनके बारे में पढ़े गए इतिहास से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. मुझे निश्चित तौर पर घुड़सवार तुर्क-मंगोल विजेता को इस तरह का रुतबा हासिल होने का कोई अंदाजा नहीं था, मुझे छह-आठ लेन वाली सड़कों, तेज गति कारों, चौड़े-चौड़े फुटपाथों और गली-नुक्कड़ में गार्डन और कैफे होने की उम्मीद भी नहीं थी.

ताशकंद में जहां चमचमाती गगनचुंबी इमारतें, डिजाइनर बुटीक, जगह-जगह म्यूजियम नजर आने के साथ एग्जॉटिक शशालिक भी उपलब्ध होता है. वहीं, समरकंद उज्बेकिस्तान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर संजोए दिखता है, जिसने दिल्ली से अंकारा तक अपना प्रभाव जमा रखा है.

मैंने बाबर और तैमूर की सरजमीं का दौरा किया जो उज्बेकिस्तान के ‘राष्ट्रीय नायक’ हैं

ताशकंद में नए-पुराने जमाने के बीच एक बेहतरीन संयोजन दिखता है. गुजरे जमाने की तरह आज भी सोना इसके ऐश्वर्य का प्रतीक है. उज्बेकिस्तान में सब कुछ सोना का है – चाहे वह तैमूर की तलवार हो या वोदका.

ताशकंद की सबसे उत्कृष्ट जगहों में से एक है अमीर तैमूर संग्रहालय, जो प्रतिष्ठित होटल उज्बेकिस्तान से कुछ ही मीटर दूर स्थित है. सोवियत शैली में खुली किताब जैसी आकृति वाला यह विशालकाय होटल 17 मंजिला है.

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