क्या है एवरेस्ट पर खोए कैमरे का रहस्य? जिसके मिलते ही बदल जाएगा इतिहास

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दुनिया के इतिहास में 29 मई की तारीख काफी खास है। उसी दिन 1953 में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे थे। इसके बाद बहुत से लोग एवरेस्ट पर पहुंचे और कई पर्वतारोहियों की जान भी गई। एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी होने के साथ अपने आप में कई राज भी समेटे हुए है, जिनसे पर्दा हटाना काफी ज्यादा मुश्किल है।

1924 की घटना पूरी दुनिया को एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे की कहानी तो पता है, लेकिन उनसे पहले 1924 में जॉर्ज मालोरी और एंड्रयू इरविन एवरेस्ट के पास पहुंचे थे। वैसे तो जून का महीना था, लेकिन एवरेस्ट बेस कैंप के आसपास सर्द हवाएं चल रही थीं। वो दोनों 4 जून को एडवांस बेस कैंप से चोटी फतह करने के लिए निकले। शुरूआत के तीन दिन काफी सही बीते, जिस वजह से वो 7-8 जून को 8000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गए थे।

क्या है एवरेस्ट पर खोए कैमरे का रहस्य? जिसके मिलते ही बदल जाएगा इतिहास

दोनों हुए लापता एवरेस्ट की कुल ऊंचाई 8,849 मीटर है, ऐसे में जॉर्ज और एंड्रयू को सिर्फ 800 मीटर और चढ़ाई करनी थी। इसके बाद उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जाता, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। 9 जून को एवरेस्ट की पूरी चोटी बादलों से ढक गई और दोनों पर्वतारोही अपनी जगह पर रुक गए। एक दिन बाद बादल तो हट गए, लेकिन जॉर्ज और एंड्रयू का कोई पता नहीं था। उनके साथ क्या हुआ ये आज भी एक बड़ा रहस्य है।

अंतिम बार नोएल ने देखा अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या 1924 में जॉर्ज और एंड्रयू एवरेस्ट पर पहुंचे थे या नहीं? अगर इस सवाल का जवाब हां है तो इतिहास बदल जाएगा। अभी तक जिन एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे को एवरेस्ट पर जाने वाली पहली जोड़ी माना जाता है, वो दूसरे हो जाएंगे। इसको लेकर अभी भी पर्वतारोहियों में बहस जारी है। पर्वतारोही नोएल ओडल ने जॉर्ज-एंड्रयू की जोड़ी को अंतिम बार देखा था। उनका दावा है कि वो दोनों गुम होने से पहले चोटी के बहुत करीब थे। इस वजह से वो अपने अभियान में सफल रहे होंगे।

क्या है एवरेस्ट पर खोए कैमरे का रहस्य? जिसके मिलते ही बदल जाएगा इतिहास

दोनों के शव चोटी के पास 1933 में एक खोजी अभियान चलाया गया, जो एवरेस्ट कैंप 6 के ऊपर पहुंचा। वहां पर उनको एंड्रयू की बर्फ काटने वाली कुल्हाड़ी मिली। जिसको देखने पर लग रहा था कि वापस लौटते वक्त वो नीचे गिरी थी। इसके बाद 1975 में एंड्रयू का शव मिला, वो भी सबसे ऊंचे शिखर से थोड़ा सा नीचे था। इसके बाद कुल्हड़ी के पास एक खोजी दल को 1999 में जॉर्ज का शव मिला।

कैमरा नहीं मिला दोनों के शवों के पास से बहुत सामान मिले, लेकिन एक चीज अभी तक गुम है, वो था उनका कोडैक कैमरा। पर्वतारोहियों ने जाने से पहले कहा था कि वो चोटी पर पहुंचने पर इस कैमरे से फोटो खीचेंगे। अगर वो दोनों उस दिन चोटी पर पहुंचे होंगे, तो फोटो जरूर ली होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि एवरेस्ट पर बारिश नहीं होती, सिर्फ बर्फ गिरती है, ऐसे में रील को नुकसान नहीं पहुंचा होगा। अगर रील को नुकसान हुआ भी होगा तो रिफलेक्शन की वजह से वो फोटो को कुछ हद तक रिकवर कर लेंगे। ऐसे में कैमरे की खोज अभी भी की जा रही है। अगर वो मिल गया तो एवरेस्ट का इतिहास बदल जाएगा।

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